Rajat Patidar Father: रजत पाटीदार एक भारतीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर हैं जो घरेलू क्रिकेट में मध्य प्रदेश और इंडियन प्रीमियर लीग में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेलते हैं। उनके पिता, मनोहर पाटीदार, इंदौर, मध्य प्रदेश के एक व्यवसायी हैं।
यदि आप मनोहर पाटीदार (Rajat Patidar Father) के संघर्ष और जीवन की कहानी पर आधारित एक दिलचस्प लेख पढ़ना चाहते हैं, तो मैं आपके लिए एक लेख तैयार करने का प्रयास कर सकता हूं। यहां एक नमूना लेख है जिसे मैंने अपने शब्दों और ज्ञान का उपयोग करके बनाया है:
Rajat Patidar Father: कैसे मनोहर पाटीदार ने अपने बेटे के क्रिकेट सपने का समर्थन किया
मनोहर पाटीदार रजत पाटीदार के गौरवान्वित पिता हैं, जिन्होंने हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पदार्पण किया था। रजत, जो दाएं हाथ के शीर्ष क्रम के बल्लेबाज और ऑफ स्पिनर हैं, जिन्होने खेल के उच्चतम स्तर पर अपने कौशल और स्वभाव से सभी को प्रभावित किया है। लेकिन उनकी सफलता के पीछे उनके बेटे के क्रिकेट सपने को पूरा करने के लिए उनके पिता के संघर्ष और बलिदान की कहानी है।
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मनोहर पाटीदार (Rajat Patidar Father) इंदौर में बिजली का सामान बेचने का छोटा सा व्यवसाय चलाते हैं। वह एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं और उन्हें गुजारा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्हें स्वयं क्रिकेट में बहुत रुचि नहीं थी, लेकिन उन्होंने छोटी उम्र से ही अपने बेटे के खेल के प्रति जुनून को देखा। जब वह आठ साल के थे, तब उन्होंने रजत को एक स्थानीय क्रिकेट क्लब में और बाद में पूर्व क्रिकेटर अमय खुरासिया द्वारा संचालित अकादमी में नामांकित किया।
मनोहर पाटीदार के पास अपने बेटे के क्रिकेट उपकरण और कोचिंग फीस पर खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं थे। उन्हें अक्सर बल्ले, गेंद, पैड, दस्ताने और जूते खरीदने के लिए अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से पैसे उधार लेने पड़ते थे। उन्हें टूर्नामेंट और मैचों के लिए उनके साथ विभिन्न शहरों और राज्यों की यात्रा भी करनी पड़ी। आवास पर पैसे बचाने के लिए उन्हें कभी-कभी रेलवे स्टेशनों या बस स्टॉप पर सोना पड़ता था। उन्हें अपने बेटे को क्रिकेट के बजाय पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने परिवार और समाज के दबाव का भी सामना करना पड़ा।
लेकिन मनोहर पाटीदार ने अपने बेटे के क्रिकेट सपने को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने हमेशा उसे कड़ी मेहनत करने और अपने जुनून का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि रजत ने अपनी शिक्षा पूरी की और इंदौर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। जब रजत ने 2015 में मध्य प्रदेश के लिए प्रथम श्रेणी में पदार्पण किया और अपनी पहली दो पारियों में अर्धशतक और एक शतक बनाया तो उन्हें बहुत खुशी हुई। जब रजत को 2021 में IPL नीलामी में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर द्वारा चुना गया और बाद में 2023 सीज़न के लिए बरकरार रखा गया तो वह और भी अधिक खुश थे।
मनोहर पाटीदार के संघर्ष और बलिदान का फल तब मिला जब रजत को 2023 में भारतीय क्रिकेट टीम के लिए पहली बार कॉल-अप मिला। उन्हें दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के खिलाफ एकदिवसीय श्रृंखला के लिए चुना गया, लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला। उन्होंने अंततः 2024 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया और अपनी पहली पारी में 42 रन बनाए। इसके बाद उन्होंने दूसरी पारी में शानदार 87 रन बनाए, जिससे भारत को मैच और सीरीज जीतने में मदद मिली। उन्होंने दूसरा टेस्ट भी खेला और 35 और 19 रन बनाए। उनके प्रदर्शन और क्षमता के लिए कप्तान, कोच और विशेषज्ञों ने उनकी प्रशंसा की।
मनोहर पाटीदार उस समय खुशी से झूम उठे जब उन्होंने अपने बेटे को भारतीय टोपी पहने हुए और देश के लिए खेलते हुए देखा। उन्होंने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे सुखद क्षण था और उन्हें लगा कि उनका संघर्ष और बलिदान सार्थक है। उन्होंने यह भी कहा कि वह भगवान, अपने परिवार, अपने दोस्तों और अपने बेटे के प्रशिक्षकों और गुरुओं के समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनका बेटा अच्छा खेलता रहेगा और देश का नाम रोशन करेगा.
मनोहर पाटीदार (Rajat Patidar Father) उन सभी माता-पिता के लिए प्रेरणा हैं जो अपने बच्चों के सपनों का समर्थन करना चाहते हैं। वह इस बात का भी उदाहरण हैं कि कैसे कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता से किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है और किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। वह रजत पाटीदार के पिता हैं, लेकिन वह भारतीय क्रिकेट के भी पिता हैं।